मुख्य न्यायाधीस जस्टिस बोबडे व उनके 5 महत्वपुर्ण फैसले

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भारत के सर्वोच्च नयायालय के मुख्य न्यायाधीस जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवम्बर 2019 को अपने पद से सेवानिवृत हो गये| अब भारत के 47वें मुख्य न्यायाधीस होंगे जस्टिस शरद अरविन्द बोबडे| जस्टिस बोबडे 18 नवम्बर से अपना पदभार ग्रहण करेंगे| तो चलिए जानते हैं जस्टिस बोबडे के बारें में कुछ बातें व उनके द्वारा दिए गए कुछ महत्वपूर्ण फैसले|

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जस्टिस शरद अरविन्द बोबडे 

जस्टिस बोबडे का जन्म 24 अप्रैल 1956 को नागपुर में हुआ, ये 63 वर्ष के हैं| जस्टिस बोबडे के पिता महारास्त्र के अधिवक्ता-जनरल रह चुके हैं व इनके दादा भी पेशे से एक वकील थे |

इन्होंने अपनी ग्रेजुएशन नागपुर से की| उसके बाद 1978 में आंबेडकर कॉलेज नागपुर से ही  अपनी वकालत की पढाई पूरी की| 

इसके बाद इन्होने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में वकालत करके अपने करियर की शुरुवात की|

जस्टिस बोबडे मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्या नययाधीस भी रह चुके हैं|इस समय यह सर्वोच्च नायालय के सबसे वरिष्ठ जज हैं|

इनका नाम मुख्या नययाधीस के लिए जुस्टिक रंजन गोगोई ने आगे दिया था तथा 29 अक्टूबर 2019 को भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने इनको भारत का अगला मुक्य नययाधीस नियुक्त किया|जस्टिस बोबडे भारत के 47वें मुख्या नयय्धीस होंगे| यह 23 अप्रैल 2021 तक अपने पद पर बने रहेंगे|

अब नजर डालते हैं जस्टिस बोबडे के द्वारा दिए गए 5 महत्वपूर्ण फैसलों पर

1.अयोध्या राम मंदिर-बाबरी मस्जिद पर फैसला

जस्टिस बोबडे उन 5 जजों में से एक थे जिन्होंने दशको से हिन्दू व मुसलमानों के बीच चले आ रहे विवाद, अयोध्या राम जन्मभूमी व बाबरी मस्जिद पर 9 नवम्बर 2019 को अपना फैसला सुनाया था|

2.बुनियादी जरूरतों के लिए ‘आधार’ को अनिवार्य न करने पर फैसला

 वह उन 3 जजों की पीठ में शामिल थे जिन्होंने भारत सरकार द्वारा बुनियादी जरूरतों के लिए आधार को अनिवार्य करने के खिलाफ अपना फैसला सुनाया था|

3.दिल्ली में पटको की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगाना 

सर्वोच्च नयायालय की 3 जजों की पीठ ने 2016 में दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी थी|यह फैसला दिल्ली में फैलते परदुषण को ध्यान में रखते हुए किआ गया था | जस्टिस बोबडे भी उन ३ जजों में शामिल थे |

4.जस्टिस रंजन गोगोई के ऊपर लगे शारीरिक उत्पीडन का केस

जस्टिस बोबडे ने सर्वोच्च नायाय्लय में बनी उस कमिटी के मुख्य जज थे जो जस्टिस रंजन गोगोई पर लगे आरोपों की जांच कर रही थी| इसमें उन्होंने जस्टिस गोगोई पर लगे आरोपों को बेबुनियाद पाया था|

5.’बसवा वचन दीप्ती’ किताब पर रोक लगाना 

वह उन 2 जज की पीठ में शामिल थे जिन्ह्नोने 2017 में कर्नाटक सरकार द्वार एक किताब पर रोक लगाने  को इस आधार पर सही ठेराया था की यह किताब भगवन बस्वना को मानने वालो की आश्था को ठेस पहुचाती है|  

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