Vidhan sabha of delhi in hindi- Facts and details

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vidhan sabha of delhi in hindi

दोस्तों जैसा की आप सब लोगो को पता ही होगा की दिल्ली विधान सभा (vidhan sabha of delhi) के चुनाव नजदीक हैं।

इस आर्टिकल में मैं आपको दिल्ली विधान सभा vidhan sabha of delhi के बारे में कुछ मत्वपूर्ण बातें बताने जा रहा हूँ।

दिल्ली विधान सभा (vidhan sabha of delhi) को इंग्लिश में Legislative assembly of Delhi भी कहते हैं।

यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (national capital territory) की एक सदन वाली विधान मंडल है।

दिल्ली विधान सभा (vidhan sabha of delhi) के अंतर्गत 70 विधान सभा की सीटें आती हैं।  

Delhi vidhan sabha का आखरी चुनाव 7 फ़रवरी 2015 को हुआ था।

इसमें आम आदमी पार्टी ने 67 सीते जीत कर बहुमत हासिल की थी और श्री अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे।

vidhan sabha के वर्तमान स्पीकर श्री राम निवास गोएल हैं और इसके डिप्टी स्पीकर श्रीमती राखी बिरला हैं।

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दिल्ली विधानसभा (vidhan sabha of delhi)के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी

दिल्ली को आजादी के बाद पार्ट-सी राज्य (part c state) बनाया गया था।

National Capital होने के नाते, स्वतंत्रता के बाद दिल्ली के लिए कुछ प्रकार की स्वायत्तता की परिकल्पना की गई थी और इसे C श्रेणी के राज्य का दर्जा दिया गया था। 

पार्ट-सी राज्यों में सीमित विधायी शक्तियां  (legislative powers)  हुआ करती थीं और इस प्रकार दिल्ली में मुख्य रूप से एक मुख्य आयुक्त (chief commissioner) का शासन बना रहा।

दिल्ली विधान सभा (vidhan sabha of delhi) का पहला चुनाव 27 मार्च 1952 को हुआ था। इसमें 48 सीते थी। 

कांग्रेस ने दिल्ली में 1952 विधानसभा चुनावों में 47 सीटों में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी। भारतीय जनसंघ ने तब 31 में से पांच सीटें जीती थीं।

(socialist party) सोशलिस्ट पार्टी (2 सीटें) और अखिल भारतीय हिंदू महासभा (akhil bhartiya hindu mahasabha) (1 सीट), सीटें जीतने वाली अन्य दो पार्टियां थीं।पहली Delhi vidhan sabha हाउस में निर्दलीय सदस्य भी थे। 

दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश (union territory) कैसे बना?

दिल्ली का सी श्रेणी के राज्य से केंद्र शासित प्रदेश में बदलना राज्यों के पुनर्गठन आयोग (state reorganisation commission) की सिफारिश पर आधारित था, जिसे 1953 में स्थापित किया गया था। 

इसकी सिफारिश से राज्य पुनर्गठन अधिनियम (state reorganisation act), 1956 के माध्यम से संविधान संशोधन हुआ, जो 1 नवंबर 1956 को लागू हुआ। 

दिल्ली राष्ट्रपति और उसके विधान सभा के प्रत्यक्ष प्रशासन के तहत एक केंद्र शासित प्रदेश (Union Territory) बन गया और मंत्रिपरिषद (council of ministers) को समाप्त कर दिया गया।

राज्य पुनर्गठन आयोग (state reorganisation commission) की एक और सिफारिश के परिणामस्वरूप दिल्ली नगर निगम अधिनियम (Delhi municipal corporation act), 1957 का अधिनियमित हुआ।

जिसके परिणामस्वरूप पूरी दिल्ली के लिए नगर निगम की स्थापना हुई।

हालांकि, दिल्ली के लिए एक व्यापक-आधारित लोकतांत्रिक प्रतिष्ठान Democratic Delhi के लिए जनता मांग कर रही थी। 

यह मांग और बढ़ गयी जब दिल्ली और लक्षद्वीप, चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार और दादरा और नगर हवेली को अनुच्छेद 239 ए के दायरे से बाहर रखा गया, जिसे संविधान (चौदहवें संशोधन) अधिनियम 14th constitutional amendment act, 1962 द्वारा संविधान में डाला गया था जिसमे तत्कालीन केंद्र Union territories में से कुछ के लिए मंत्रिपरिषद (council of ministers) या local legislature या दोनों बनने की मांग की गयी थी।

Union Territory of Delhi

अंत में, एक समझौते के रूप में, एक अंतरिम दिल्ली मेट्रोपॉलिटन काउंसिल (Interim Delhi Metropolitan Council) – एक सदनीय लोकतांत्रिक निकाय (unicameral democratic body) – का गठन दिल्ली प्रशासन अधिनियम (Delhi Administration Act), 1966 के तहत किया गया, जिसमें 56 निर्वाचित और 5 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित सदस्य थे। 

मुख्य आयुक्त को हटा कर एक Lieutenant Governor नियुक्त किया गया जिन्होंने परिषद का नेतृत्व किया था। 

लेफ्टिनेंट गवर्नर को भारत के राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 239 (Artical 239) के तहत नियुक्त किया गया था।

दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य की मांग 

दिल्ली मेट्रोपॉलिटन काउंसिल (Delhi Metropolitan Council) के पास कोई विधायी शक्तियां (legislative power) नहीं थीं।

यह केवल दिल्ली के शासन में एक सलाहकार की भूमिका में थी। 

हालाँकि यह व्यवस्था 1990 तक जारी रही, लेकिन दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की माँग जोर शोर से जारी थी।

सरकारिया समिति Sarkaria Commission (जिसे बाद में बालकृष्णन समिति कहा जाता है) ने 14 दिसंबर 1989 को सौंपी अपनी रिपोर्ट में दिल्ली से संबंधित प्रशासन के मुद्दों को संबोधित किया और सिफारिश की कि हालांकि दिल्ली को Union territory बना रहना चाहिए, लेकिन इसमें एक विधान सभा और मंत्रिमंडल होना चाहिए। 

सिफारिशों के बाद, दिल्ली महानगर परिषद को दिल्ली विधानसभा (vidhan sabha of delhi) द्वारा संविधान (साठवाँ संशोधन) अधिनियम constitutional amendment act, 1991 के माध्यम से दिल्ली अधिनियम, 1991 की National Capital Territory सरकार द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया।

इसने एक ऐसी प्रणाली को जन्म दिया, जिसमें दिल्ली की निर्वाचित सरकार को कानून और व्यवस्था को छोड़कर विधायी शक्तियां दी गईं।

Law and Order केंद्र सरकार के पास रहीं। दिल्ली की एनसीटी 1993 में लागू हुई।

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दिल्ली विधानसभा में रहे मुख्यमंत्री

दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री

कांग्रेस के चौधरी ब्रह्म प्रकाश (1918-1993) दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री थे।

उनका जन्म नजफगढ़ के पास जाफरपुर कलां में हुआ था।

एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उन्होंने सत्याग्रह आंदोलन में भाग लिया था।

वे Bharat Chodo Andolan के दौरान दिल्ली में “भूमिगत” गतिविधियों में भी शामिल थे।

प्रकाश ने आजादी के बाद central minister के रूप में भी कार्य किया।

दिल्ली के अब तक के मुख्यमंत्री 

पहले मुख्यमंत्री ब्रह्म प्रकाश के बाद उनकी ही पार्टी के, जीएन सिंह, मुख्यमंत्री बने, ये 1955 से 1956 तक सीएम थे। 

इसके बाद, दिल्ली में 1993 में ही मुक्यमंत्री बना।

यह एकमात्र समय था जब भाजपा ने नए गठित राज्य में सरकार बनाई थी । 

अपने कार्यकाल के पांच वर्षों में, भाजपा के तीन chief ministers थे – मदनलाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज। 

1998 के चुनावों में कांग्रेस ने भाजपा को हराया और अगले तीन कार्यकालों के लिए, शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने राज्य पर शासन किया।

इसके बाद दिसंबर 2013 में दिल्ली के विधानसभा(vidhan sabha of delhi) चुनाव हुए, जिसके परिणामस्वरूप दिल्ली में त्रिशंकु विधानसभा बनी। 

Arvind Kejriwal, जिन्होंने Shiela Dixit को चुनाव में हराया था और जिनकी नवगठित AAP भाजपा के बाद राज्य विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, अंततः कांग्रेस के बाहरी समर्थन से सीएम बने ।  

Aam Admi Party की यह सरकार केवल 49 दिनों तक चली और पहली बार, दिल्ली में विधानसभा को निलंबित हुई और दिल्ली में  राष्ट्रपति शासन लगाया गया।

2015 के विधानसभा चुनाव(vidhan sabha of delhi) में अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला।

AAP ने 70 में से 67 सीटों में जीत हासिल की और Arvind Kejriwal एक बार फिर दिल्ली के chief minister बने।

यह दिलचस्प है कि सदियों तक मुस्लिम शासकों द्वारा शासित होने के बावजूद, दिल्ली में आजादी के बाद कोई भी मुस्लिम chief minister नहीं रहा है। 

इसके कारण स्पष्ट हैं: दिल्ली में मुसलमानों की आबादी में हिंदुओं की संख्या 81 प्रतिशत है।

मुस्लिम (10.7 प्रतिशत), सिख (4 प्रतिशत), बाहाई (3 प्रतिशत), जैन (1.1 प्रतिशत) और ईसाई (0.9 प्रतिशत)।

दिल्ली विधानसभा (vidhan sabha of delhi) के अगले चुनाव 2020 में होने हैं।

List of Assemblies of Delhi

List of Assemblies of Delhi 

विधानसभा साल स्पीकर मुख्यमंत्री विपक्ष के नेता
1st Assembly1993Charti Lal GoelMadan Lal KhuranaN/A
Sahib Singh Verma
Sushma Swaraj
2nd Assembly1998Chaudhary Prem SinghSheila DikshitMadan Lal Khurana
3rd Assembly2003Ajay MakenChaudhary Prem SinghVijay Kumar Malhotra
4th Assembly2008Yoganand Shastri
5th Assembly2013Maninder Singh DhirArvind KejriwalHarsh Vardhan
6th Assembly2015Ram Niwas GoelVijender Gupta

दिल्ली विधानसभा (vidhan sabha of delhi) के अगले चुनाव 2020 में होने हैं।

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