चुनावी बांड क्या है? What is electoral bonds?

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चुनावी बांड क्या है? what is electoral bond?
चुनावी बांड क्या है? What is electoral bonds?

 चुनावी बांड किसी भी व्यक्ति या संगठनो द्वारा चुनावो में किसी भी राजनेतिक पार्टी को चंदा देने के लिए प्रयोग किआ जाता है|

इनके ऊपर इनके मूल्य लिखा होता है|चुनावी बांड को 2017 में तब के वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा बजट में पेश किआ गया था| 

इसको चुनावी प्रक्रिया में होने वाले पैसे के लेन देन व चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए उपयोग में लाया गया था|

बांड 1000, 10000, 1 लाख, 10 लाख व 1 करोड़ रुपए के उपलब्द होते हैं|

चुनावी बांड कौन व कैसे लागू करता है 

यह बांड स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा लागू किये जाते कोई भी भारतीय नागरिक व संस्था राजनेतिक पार्टी को चाँद देने के लिए बांड खरीद सकता है|

सिर्फ उस पार्टी को दान दे सकते हैं जो चुनाव आयोग में रजिस्टर हो तथा जिसको पिछले चुनाव में कम से कम कुल वोटो का 1% वोट मिला हो |

ये जनवरी, अप्रैल, जुलाई, और अक्टूबर में खरीदे जा सकते हैं |

बैंक राजनेतिक पार्टी का एक अकाउंट बना के देगा जिसमे यह बांड जमा करा सकते हैं|

इनको खरीदने के बाद 15 दिन के भीतर जमा कराया जा सकता है|

बांड खरीदने वाले की पहचान को गोपनीय रखा जायेगा हालांकि दान देने वाला अपनी सारी जानकारी बैंक को देगा|बैंक इसको चुनावी बांड में नहीं दर्शायेगा | 

चुनावी बांड आने से पहले क्या होता था ?

2017 से पहले ऐसी व्यवस्था थी की अगर किसी पार्टी को 20000 रुपए से कम का दान प्राप्त होता है तो पार्टी को दान देने वाले की पहचाना बताना जरुरी नहीं था|

इसका बहुत सी पार्टिया गलत इस्तेमाल भी करती थी जैसे उनकी 90% दान 20000 रुपए से कम होता था जिससे बहुत सा कला धन चुनावों में प्रयोग होता था|

2017 के बाद यह राशि घटा कर 2000 रूपए कर दी तथा 2000 से ऊपर के दान के लिए चुनावी बांड को अनिवार्य कर दिया गया|

चुनावी बांड की आलोचनाय

चुनावी बांड को लाने का  मुख्या उद्देश्य चुनावी दान में पारदर्शिता लाना व काले धन पे रोक लगा था|

परन्तु आम जनता की नजर से देखा जाये तो इसने स्तिथि को और अस्पष्ट कर दिया है|

अब कौन व्यक्ति किस पार्टी को दान कर रहा है या कोई पार्टी किस्से चंदा ले रही है यह गोपनीय है|

चुनाव आयोग द्वारा भी ये कहा गया की इन बांड के आने से राजनेतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे की पारदर्शिता कम हो जाती है |

कुछ राजनेतिक पार्टी भी इसका विरोध कर चुकी हैं |

चुनावी बांड की काफी आलोचनाये हुई |

चुनावी बांड चर्चा में क्यों है?

वित्त मंत्रालय द्वारा डी गयी विशेष विंडो एक आर.टी.आई. के माध्यम से यह कहा गया की प्रधानमंत्री कार्यालय PMO ने वित्त मंत्रालय को 2 बार राज्य विधानसभा चुनावों के लिए समय से पहले चुनावी बांड की बिक्री को मंजूरी देने के लिए एक विशेष विंडो खोलने को कहा गया |

जबकि नियमानुसार बांड की बिक्री की अवधी पहले से निर्धारित है|2017-18 में सबसे जादा २२२ करोड़ रुपए जो की सारे बांड का  करीब 95% होता है दान में मिला |

रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया व चुनाव आयोग ने भी इस योजना पर आपतियां जताई थी आर.बी.आई. ने अपने लिखे 1 पत्र में चुनावी बांड की पारदर्शिता तथा इसको मनी लौन्देरिंग बिल को कमजोर करने पर सवाल उठाये थे परन्तु सरकार द्वारा इससे ख़ारिज कर दिया गया|

दान देने वालो का नाम गोपनीय रखने तथा घाटे में चल रही कंपनियों (शैल कंपनी) को बांड खरीदने की अनुमति देने पर चुनाव आयोग ने चिंता जताई थी|

पहले कहा गया था की बांड से किसने दान दिया या किस पार्टी को दान दिया ये पता नहीं लगाया जा सकता पर अब ये खबर उजागर हुई है की सिर्फ सरकार अपने फायदे के लिए दान देने वाले की पहचान का पता बैंक द्वारा लगा सकती है| जिसका विपक्ष की पार्टियों ने कड़ा विरोध किआ है|

चुनावी बांड को लेकर आपकी क्या ररय है कमेंट करके जरुर बताएं |

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